Decline in Infalation Rate : हाल ही में भारत सरकार द्वारा जारी रिटेल महंगाई दर में जनवरी के आंकड़ों के मुताबिक 5 महीने के निचले स्तर पर पहुंच गई, इससे पहले महीने दिसंबर माह में महंगाई दर 5.22 फीसदी थी जो अब जनवरी माह में गिरकर 4.31 फीसदी पर आ गई है, वही बीते वर्ष अगस्त माह में रिटेल महंगाई दर 3.65 फीसदी के स्तर पर थी।
हाल ही में कल यानी 12 फरवरी 2025 को सरकार द्वारा नई रिटेल महंगाई दर के आंकड़े जारी किए हैं, आपको बता दें कि खुदरा महंगाई दर (Retail inflation) में 50 फीसदी तक खाने पीने की वस्तुएं शामिल की जाती है, बीते महीने दर महीने के अनुसार गिरावट के साथ 8.39 फीसदी से 6.02 फीसदी पर आ गई, वही ग्रामीण महंगाई दर 5.76 फीसदी से गिरकर 4.64 फीसदी पर पहुंच गई, जबकि शहरी महंगाई दर भी 4.58 फीसदी से गिरकर 3.87 फीसदी पर आ गई है। Decline in Infalation Rate
इस प्रकार रही खाने पीने की वस्तुएं में गिरावट
वस्तुएं | दिसंबर 2025 | जनवरी 2025 |
अनाज | 6.82% | 6.24% |
मीट एवं मछली | 5.38% | 5.25% |
दूध | 2.69% | 2.85% |
एडिबल ऑयल | 16.38% | 15.64% |
फल | 9.39% | 12.27% |
सब्ज़ी | 28.66% | 11.35% |
दालें | 4.02% | 2.59% |
मसाले | – 8.03% | – 6.85% |
सॉफ्ट ड्रिंक | 2.64% | 3.39% |
तम्बाकू/पान | 2.71% | 2.30% |
फुटवियर/कपड़े | 2.73% | 2.68% |
कैसे प्रभावित करती है आम आदमी को महंगाई दर?
महंगाई दर सीधे तौर पर खरीद शक्ति (perchaging power) को प्रभावित करता है, उदाहरण के लिए मान ले इस समय महंगाई दर 10 फीसदी तक है, तब आप 100 रुपए कमाते हैं तो उसका मूल्य (वेल्यू ) सिर्फ 90 रूपए तक होगा । इस प्रकार आप महंगाई दर को ध्यान में रखते ही मार्केट में निवेश करे वरना आपके रूपए की वेल्यू प्रभावित होगी। Decline in Infalation Rate
महीने दर महीने महंगाई दर इस प्रकार रही
महीना/साल | महंगाई दर |
अप्रैल 2024 | 4.83% |
मई 2024 | 4.75% |
जून 2024 | 5.08% |
जुलाई 2024 | 3.54% |
अगस्त 2024 | 3.65% |
सितंबर 2024 | 5.49% |
अक्टूबर 2024 | 6.21% |
नवंबर 2024 | 5.48% |
दिसंबर 2204 | 5.22% |
जनवरी 2025 | 4.31% |
महंगाई दर के घटने बढ़ने का कारण क्या है?
महंगाई दर के घटने एवं बढ़ने का प्रमुख कारण उत्पादों (प्रोडक्ट) के मांग एवं सप्लाई चेन पर निर्भर करता है, यदि आम लोगों के पास अधिक पैसे उपलब्ध होंगे, तब वो अधिक वस्तुएं मार्केट से परचेज करेंगे, अधिक वस्तुएं खरीदने से मांग में बढ़ोतरी होगी, एवं मांग के अनुसार वस्तुओं की सप्लाई ना होने के चलते कीमतों में बढ़ोतरी होगी। Decline in Infalation Rate
इन परिस्थितियों के कारण मार्केट में महंगाई की मार पड़ सकती है, या यू कहे कि बाजार में पैसे के अधिक बहाव एवं उत्पादों की मार्केट में कमी ही महंगाई दर को बढ़ाते हैं। इसके विपरीत यदि वस्तुओं की मांग में कमी एवं सप्लाई अधिक होने से महंगाई दर में कमी आएगी। Decline in Infalation Rate
कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स से तय होती हैं महंगाई दर
हम और आप एक ग्राहक के तौर पर रिटेल मार्केट से वस्तुएं खरीदते हैं, वस्तुओं की कीमतों में होने वाले बदलाव को CPI यानी कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स के द्वारा मापा जाता है, हमारे द्वारा जो सेवाओं एवं वस्तुओं हेतू एवरेज कीमत चुकाते है, उसकी को CPI द्वारा मापा जाता है। Decline in Infalation Rate
महंगाई दर को मापने में इस समय 300 से अधिक वस्तुएं शामिल की जाती है, इस समय क्रूड ऑयल, मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट, एवं कमोडिटी के अलावा अन्य वस्तुएं होती है जिसके आधार पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, एवं अन्य खाने पीने की वस्तुएं भी इसमें शामिल होती हैं। Decline in Infalation Rate 2025
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