Rupees depreciation: इस कारण से गिर रही है डॉलर के बजाय रुपए की मार्केट वेल्यू, जाने किसको है फायदा, किसको होगा नुकसान 2025

Rupees depreciation : ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति पद संभालने के तुरंत बाद से ही रूपए की कीमती अमेरिकी की बजाय काफी गिरने लगी है, जो दिन प्रतिदिन फॉल्स देखने को मिल रही है, इस समय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रिकॉर्ड निम्न स्तर पर पहुंच गया है, रूपए में लगातार गिरावट हेतु अंतरराष्ट्रीय कारण ही नहीं बल्कि घरेलू कारण भी काफी हद तक जिम्मेवार बने हुए हैं, जो रुपए की गिरावट में योगदान दे रहे हैं । Rupees depreciation

वैश्विक कारणों के साथ साथ घरेलू बाजार कैसे रूपए की गिरावट हेतू जिम्मेवार है, एवं लगातार रूपए की अमेरिकी डॉलर के मुकाबले गिरावट कौन से सेक्टर हेतु लाभदायक है एवं किसको यह नुकसान पहुंचा सकती है आज के इस लेख में हम इसी को जानने की कोशिश करेंगे, ताकि आम लोगों को इसकी संपूर्ण जानकारी हो। Rupees depreciation

Rupees depreciation | कमजोर रुपया आयातित चीजों को करती है महंगी

जैसा कि मार्केट में इस समय रुपए की गिरावट का सिलसिला कुछ महीनों से जारी है, यह तो सभी लोग रोजाना आर्टिकल में पढ़ते हैं ही, क्योंकि अमेरिकी डॉलर की बजाय रुपया लगातार गिर ही रहा है, अभी 6 फरवरी को भी 14 पैसे की गिरावट के साथ रुपया अमेरिकी डॉलर की बजाय 87.57 रूपए के अपने ऑल टाइम न्युनतम मूल्य पर पहुंच गया। आखिर रुपए की इतनी बड़ी गिरावट के पीछे क्या वजह है, एवं इसके क्या नुकसान आम लोगों से खास लोगों को होंगे एवं क्या इसके फायदे हो सकते हैं। ये सवाल तो उठने लाजमी है, बस यही हम इसमें जानने की कोशिश करेंगे. चलो जान ही लेते हैं. Rupees depreciation

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किस कारण रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले हो रहा है कमजोर बताए?

Indian Rupees depreciation | भारतीय मार्केट हो या अंतरराष्ट्रीय कारण कई वजह है जो भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर की बजाय गिर रहा है, हाल ही में 47वे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा कई देशों पर ट्रेड वार यानि टैरिफ की धमकी से मार्केट में उथल पुथल मच गया है, जिसका असर भारतीय रूपए पर भी दिखाई दे रहा है, हालांकि अमेरिकी बैंक ब्याज दरों एवं बॉन्ड यील्ड काफी ऊंचे हैं, जिसके कारण निवेशकों द्वारा अमेरिकी मार्केट में निवेश का रुख बढ़ गया है। जिसके कारण लगातार अमेरिकी डॉलर की मांग के चलते उसमें मांग के अनुसार डॉलर मजबूत हो रहा है।

फौरन इन्वेस्टरों द्वारा भारतीय शेयर बाजारों की बिकवाली की जा रही है, जिसके कारण डॉलर की भरी डिमांड बन चुकी है, जिसके फलस्वरूप लगातार रुपया की सप्लाई एवं बिकवाली बढ़ चुकी है, एवं बदले में अमेरिकी डॉलर की डिमांड लगातार बढ़ी है, दूसरी ओर भारत के पड़ोसी देश चीन जैसी ग्लोबल पावर के साथ भारत का ट्रेड घाटा भी बढ़ोतरी की और जा रहा है, जिसके कारण रुपया कमजोर जबकि अमेरिकी डॉलर मजबूत हो रहा है।

डॉलर के मुकाबले रुपए के कमजोर होने से ये है नुकसान

पेट्रोलियम एवं तेल पदार्थ होंगे महंगे.

जैसा कि विदित है कि भारतीय मार्केट में कच्चे तेल की कमी है एवं भारत क्रूड ऑयल का सबसे बड़ा आयातक देश है, यदि रुपए की कीमत गिरती है तो इसका सीधा असर पैट्रोल एवं डीजल की कीमतों पर पड़ता है एवं इससे लॉजिस्टिक, ट्रांसपोर्ट एवं महंगाई दर को बढ़ाने में सहायक है। Rupees depreciation

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महंगाई दर में बढ़ोतरी.

भारत में रूपए के कमजोर होने से इनफ्लेशन रेट (महंगाई दर) में बढ़ोतरी एक प्रमुख कारक है, यदि रुपया गिरता है तो इससे कई आयातित वस्तुएं महंगी हो जाएगी, एवं आम लोगों पर बढ़ते मूल्य का महंगाई दर में बढ़ोतरी प्रमुख फैक्टर बन जाता है, इससे आम लोगों हेतू मोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएं एवं दवाओं पर भी कीमतों में बढ़ोतरी का असर दिखाई देता है। Rupees depreciation

यात्रा पढ़ाई एवं विदेशी कर्ज में इजाफा.

यदि अमेरिकी डॉलर की तुलना में रुपया कमजोर होता है तो भारतीय कंपनियों को विदेशी ऋण (fourn debt) लेना पड़ता है जो भारी ब्याज पर मिलता है, जिसको चुकाना काफी महंगा पड़ता है, इसके अलावा जो विद्यार्थी बाहरी देशों जैसे अमेरिका एवं यूरोपीय देशों में पढ़ाई करते हैं उनको भी अधिक खर्च करना पड़ता है, वही विदेश यात्रा हेतू होटल एवं अन्य सुविधाओं हेतू भी अधिक खर्च करना पड़ता है। Rupees depreciation

भारतीय रुपए के कमजोर होने के ये है फायदे

हालांकि रूपए के गिरने ( Rupees depreciation) से कई प्रकार के नुकसान है तो कई प्रकार के फायदे भी भारतीय आम लोगों को मिलते हैं जो निम्न प्रकार है..

निर्यात में होगी बढ़ोतरी.

अमेरिकी डॉलर मजबूती भारतीय प्रोडक्ट को निर्यात में सहायक भी है, क्योंकि जैसे ही रुपया गिरता है भारतीय उत्पाद को विदेशों में बिक्री हेतु सस्ते दामों पर निर्यात किया जाता है, जिससे विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है, सस्ती वस्तुओं को विदेशी बाजारों में मांग बढ़ोतरी होती है जिससे अधिक माल भारत से निर्यात कर सकते हैं, इसमें भारत के प्रमुख उत्पाद जैसे IT सेक्टर, फार्मा एवं मैन्युफैक्चरिंग जैसी कंपनियों को काफी लाभ मिलता है।

विदेशी मुद्रा (Remittance )में होगी बढ़ोतरी

भारत से इस समय करोड़ों लोग विदेशों में कार्य करते हैं, जैसे ही रूपये की कीमत अमेरिकी डॉलर के मुकाबले कमजोर होती है, उसी की तुलना में अधिक मात्रा में रुपया भारतीय अस्थाई तौर पर कार्य करने वाले लोग अधिक पैसा अपने परिवार को Remittance के तौर पर भेजते हैं जिससे विदेशी मुद्रा में इजाफा होता है, इससे सबसे अधिक फायदा NRI लोगों को होता है। क्योंकि भारतीय रुपए में इसकी कीमत बढ़ जाती है।

पर्यटन क्षेत्र में होगा लाभ.

जब वह अमेरिकी डॉलर मजबूत एवं रुपया कमजोर होता है तब पर्यटन क्षेत्र में लाभ होता है क्योंकि कम खर्च में विदेशी भारत में आकर अधिक पैसा खर्च कर सकते हैं, जिससे आम लोगों को इसका बेनिफिट मिलता है, एवं रोजगार को बढ़ावा मिलता है, इसके अलावा विदेशों से भारत में इलाज हेतु भी कई पर्यटक आते हैं जिससे भी विदेशी मुद्रा भारत में मिलती है, इसके बलबूते मेडिकल पर्यटन को भी बढ़ावा मिल सकता है।

रुपए में तेजी की कब है उम्मीद?

रुपए के मजबूती का फिलहाल तो को आसार दिखाई नहीं देता, परंतु इसके लिए भारतीय रिजर्व बैंक की नीतियों पर काफी हद तक जिम्मेवार होगी, यदि बैंक द्वारा मौद्रिक नीति में बदलाव किया जाता है तो इससे रुपया मजबूत हो सकता है, हालांकि डोनाल्ड ट्रंप द्वारा ट्रेड वार/टैरिफ नीति से ऐसा अभी संभव नहीं लगता। परंतु यदि रिजर्व बैंक या सरकार ठोस कदम उठाती है तो संभव जरूर है। दूसरी और भारतीय इकॉनमी में बढ़ोतरी होती है एवं विदेशी निवेश बाहर में बढ़ता है तो रिकवरी यहां से जरूर हो सकती है। Rupees depreciation

रुपए की वैल्यू से आम लोगों पर कितना होगा असर?

हालांकि आम लोगों पर बढ़ती अमेरिकी डॉलर एवं गिरती हुई रूपए की कीमत चिंता का विषय बना हुआ है, परंतु निर्यात बढ़ोतरी के खुलते दरवाजे भी सहायक हो सकते हैं, जिसके कारण भारतीय इकॉनमी जो इस बात उभरती अर्थव्यवस्था है बेहतर विकल्प को बढ़ावा दे सकती है, परंतु दूसरी ओर खुदरा महंगाई जैसी समस्या भी भारत में आ सकती है जो चिंता का विषय है। ऐसे में निवेशकों को सतर्क रहने की आवश्यकता है।

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